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Mudita- A Non Verbal Triology
मुदिता : ए नॉन वर्बल त्रयोलॉजी - शून्य का एक नया प्रयोग है । मुदिता में तीन कहानियाँ हैं और यह तीनों ही कहानियाँ एक दूसरे से आपस में जुड़ी हुई है । आज के समय में जहां व्यक्ति की संवेदनाएँ मरती जा रहीं हैं और वह एक मशीन में परिवर्तित होता जा रहा है मुदिता की ज़रूरत साफ समझ में आती है ।
पहली कहानी का वातावरण कुछ ऐसा ही है जहाँ व्यक्ति रोबोट में तब्दील हो गया है मगर फिर भी कहीं एक तलाश बाकि है और अपनी लगन और मेहनत से कोई एक उस तलाश को पा ही जाता है ।
कहानी में एक दस्तकार और उसके पुर्ज़ों को भी देखा जा सकता है मशीन और आदमी के संयोग मिले जुले प्रयास से ही कुछ संभव है केवल मशीनों का होना हमें सफलता नही दे सकता ।
मुदिता की दूसरी कहानी भी एक तलाश ही है अपनी खोयी हुई स्मित की तलाश जो इस मशीनी युग में कहीं खो गयी है । आखिरकार वो स्मित मिलती है और खोज सम्पूर्ण होती है।
तीसरी कहानी आज के समय में और अधिक प्रासंगिक है जहाँ आदिम मनःस्थिति से अब
तक की मानव यात्रा को दिखाया गया है या
कहें कि आज जिस तरह का माहौल बन गया है उसमें आने वाले हज़ार साल बाद क्या होगा ...शायद मनुष्य इस अफरा - तफरी से अलग एक सुकून का जीवन जीना चाहेगा ।
शायद तब तक आज की परिस्थितियों से जूझता -टकराता वो न देखने न बोलने न सुनने की अवस्था में आ जाए पर इतनी ठोकरे खाने पर जिस चीज़ को वो बचा लेना चाहेगा वो होगी - सोशल हार्मोनी ....
मुदिता उसी को बचा लेने का एक प्रयास भर है शून्य का - आपके सहयोग से
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