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बर्टोल्ट ब्रेष्ट पर विशेष

Updated: Oct 28, 2020

By Rama Yadav


शून्य लगातार किसी न किसी सामयिक विषय को लेकर आगे बढ़ रहा है l अभी हाल ही में हम ब्रेष्ट कि कविताओं पर काम कर रहे हैं l वर्तमान में ब्रेष्ट को फिर से बाँचना अनिवार्य हो गया है l


वैभव प्रताप सिंह के ब्रेष्ट को लेकर विचार यहाँ प्रस्तुत हैं -

तालाबंदी के समय में शून्य ने शुरू किया यूट्यूब पर अपना पॉडकास्ट। इसी पाॅडकास्ट का एक अहम हिस्सा है ब्रेष्ट की कविताएँ। बर्टोल्ट ब्रेष्ट (1898-1956) जर्मनी के एक मशहूर नाटककार व कवि रहे और उनकी कविताएँ आज के समय में भी उतनी ही प्रभाभशाली है जितनी उस समय रही । उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से कुछ खास मुद्दों पर अपने भाव प्रकट किये हैं जिनसे हम अपने आप को आज भी जोड़ कर देख सकते हैं जैसे जहाँ महामारी की वजह से पूरा विश्व एक तरह से बंद है , वहीं कई देश युद्ध की आशंका से घिरे हुए हैं और कई देशों में राजनीतिक फेर बदल चल रहा है। यह कुछ खास विषय हैं जिनके बारे में ब्रेख़्त की कविताएँ बात करती ही हैं अगर उस नजरिये से सोचा जाए तो।


कविता वाचन जितना सरल कार्य लगता है उतना ही कठिन कार्य है क्योंकि कविताओं को पढ़ते समय अक्सर हम एक लय बना लेते हैं या यह मान लेते है कि यह कविता है तो इसे तो गाया ही जायेगा या इसे कहते वक्त एक लय रहेगी परन्तु जब मैंने ब्रेष्ट की कविताओं का वाचन करना शुरू किया और उसे रिकॉर्ड करके सुना तो यह एहसास हुआ कि हम जो अपने मन में सोचते हैं कि कविता ऐसे कहेंगें या उतार चढ़ाव इस प्रकार के रहेंगे उसका सत्य अपने वाचन को स्वयं रिकॉर्ड करके सुनने से पता चलता है कि वाचन सपाट हो रहा है उसमें कोई उतार चढ़ाव आ ही नही रहे। और जब अपने पहले प्रयास में मैंने कई रिकॉर्डिंग करने के बाद एक रिकॉर्डिंग को अपनी निर्देशक- डॉ रमा यादव (जिन्हें हम प्यार और आदर से मैंम भी कहते हैं) को बहुत सोच विचार करने के बाद भेजता था तो उनके विचार उस कविता के मेरे वाचन पर सुनने को आतुर रहता था। ब्रेष्ट की कविताओं को रिकॉर्ड करते समय इस प्रकार की बहुत सी परेशानियों या यूँ कहें कि सच्चाई से अवगत हुआ। जैसे जब भी हम किसी कविता को पढ़ते हैं या उसका वाचन करने का प्रयास करते हैं उस कविता को पढ़ने से पहले उसके कवि के बारे में जानकारी प्राप्त करना बहुत जरूरी है जैसेै कि कविता किसने लिखी, किस समय में कविता को लिखा गया और उस कविता को लिखने के पीछे कवि का क्या कारण था या फिर किस कारण कवि उस कविता को लिखने के लिए प्रेरित हुए थे। जब मैंने ब्रेष्ट की कविताओं को पढ़ना शुरू किया उस समय मैं इन सभी बातों से अनिभिज्ञ था जिसके चलते मेरी शुरू की कई रिकॉर्डिंग कविता को एक तरह से गाने की कोशिश में थी जो कि रही विफल क्योंकि मैं सोच कुछ और रहा था और जब उसे रिकॉर्ड करता था मुझे ऐसा प्रतीत होता था कि वाचन कुछ अलग ही हो रहा हैं इसी कारण हमारी मैंम हमें समय - समय पर कविता की गहराई, कवि की मनोस्थिति कविता को लिखते समय जो रही होगी उससे अवगत कराती रहती थीं। कई बार तो वह स्वयं भी हमें कविता का वाचन करके, या उसको रिकॉर्ड करके भेजा करती थी जिससे हमें कविता और उसके वाचन के बारे में ज्ञान प्राप्त हो सके।


मुझे अच्छे से याद है मेंने अपनी पहली कविता " हर चीज़ बदलती है " कि कम से कम 6-7 रिकॉर्डिंग एक ही दिन में भेज दी थीं। जैसे ही मैंम कुछ भी बताती बस उसे दोबारा बताये गए तरीके से रिकॉर्ड करनी शुरू कर देता था और फिर कई - कई रेकॉर्डिंग में से किसी एक रेकॉर्डिंग को जो मुझे ठीक लगती थी उन्हें भेज देता और यह एक ही दिन में 6-7 बार हुआ। तब मैंम ने मुझे कुछ दिन रुकने को कहा और कविता को भूल जाने को कहा जिसका महत्व तब तो उतना समझ में नही आया परन्तु अब समझ में आता है कि जब हम किसी काम को लगातार कर रहे होते हैं तब अक्सर अनेक प्रयासों के बावजूद हम उसमें कुछ अंतर या कुछ नया नही कर पाते परंतु अगर उसी कार्य को कुछ समय बाद करें तो उसमें एक नयापन या सुधार लाना थोड़ा आसान होता है।


कविता को अंतिम रूप देने में एक बहुत बाद योगदान संगीत की उन धुनों का भी है जो एक साधारण कविता को इस प्रकार बाँधती है कि कविता को सुनने का अनुभव ही बदल जाता है और इसका पूरा श्रेय हमारे शून्य परिवार के एक महत्वपूर्ण सदस्य मयंक गुप्ता जिन्हें हम प्यार से मयंक भाई भी कहते हैं उनको जाता है। संगीत की उन धुनों की प्रसंशा मेरे बहुत से मित्रों ने भी की, उनका खासकर कहना यह था कि जो संगीत कविता के साथ और बीच में बजता है उसने उनके कविता सुनने के अनुभव को बहुत ही सुंदर बना दिया। जब मेरी पहली कविता हमारे " शून्य थिएटर ग्रुप " के यूट्यूब चैनल पर पहली बार आयी तब मुझे यह एहसास हुआ कि क्यों मैंम मुझे कविता के बीच में विराम लेने को कह रही थी। संगीत ने उसे एक नया मुकाम दे दिया था परंतु यह भी पता चला कि इतने अच्छेे संगीत के लिए कविता का वाचन कितना अच्छा होना चाहिए। इसीलिए इन सभी बातों का ध्यान मैंने अपनी दूसरी कविता " जब कूच हो रहा होता है " में रखने का प्रयास किया परंतु उसे जब हमारे यूट्यूब चैनल पर सुना तो यह समझ आया कि कविता में विराम का कितना महत्व होता है अगर विराम का सदुपयोग थोड़ा और अच्छे तरीके से किया होता तो शायद दूसरी कविता काफी अच्छी बनती। शून्य द्वारा कविताओं के वाचन के इस प्रयास से हमें बहुत सीखने का अवसर मिल रहा है और साथ ही साहित्य में ज्ञान की बृद्धि हो रही है।

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