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Bhupesh Kumar Pandya और उनकी अभिनय यात्रा

Updated: Oct 28, 2020

By Rama Yadav


भूपेश पंडया से शून्य नाट्य समूह की एक विशेष बातचीत शाम 6 बजे/ 3 मई २०२० शून्य के अपने you tube channel पर


भूपेश कुमार पंड्या का नाम नाटक और अभिनय की दुनिया में नया नहीं, माने यह अपने आप में एक प्रतिष्ठित नाम है और जब हम किसी नाम को प्रतिष्ठित कहते हैं तो हमने उसे बहुत निकट से जाना – पहचाना होता है l आज रंगजगत में ही नहीं ‘सिने’ जगत में भी इस नाम ने अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनायीं है l यदि ‘सिने’ जगत को देखें तो कम या अधिक उनकी जो भी फिल्में आईं हैं उन्होंने उनमें जो भी भूमिकाएं निभाही हैं , वो दर्शकों के ह्रदय पर ऎसी छाप छोड़कर गयीं हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता l मुझे व्यक्तिगत रूप से ‘गाँधी टू हिटलर’ में उनकी सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका ने बहुत प्रभावित किया है , फ़िल्म की वो स्पीच जो लगभग आरम्भ में ही है दिल के भीतर तक उतरी हुई हैं , वहां लगता है कि जो एक अच्छा अभिनेता होता है वो हर समय और हर परिस्थिति में एक अच्छा अभिनेता ही होता हैl

भूपेश पंडया के विषय में यदि कुछ लिख रही हूँ तो उसका मतलब यही है कि उन्हें एक व्यक्तित्व के नाते से ही नहीं बल्कि एक अभिनेता के नाते से भी करीब से जाना है l सबसे पहले इस अभिनेता की बात जो मन को अप्रोच करती है वो यह कि बहुत सारे अभिनेता निर्देशक के निर्देशों से कभी – कभी इरिटेट भी होते हैं , या उन्हें लगता है कि निर्देशक क्यों उन्हें बार – बार एक ही निर्देशकीय दे रहा है , हम कर तो रहे हैं , अपनी तरह से ..पर भूपेश वो अभिनेता हैं जो स्वयं में परिपूर्ण होते हुए भी , स्वयं में एक संस्था होते हुए भी निर्देशक के निर्देशों का सम्मान करते हैं , धैर्य से और अपने चरित्र को अपनी तरह से चरितार्थ करते हुए , माने अपने चरित्र को अपनी तरह से ‘परफॉर्म’ करते हुए निर्देशकीय आवश्यकताओं का निर्देशक के निर्देशों का पूरी तरह से ध्यान रखते हैं l यहाँ अनिवार्य रूप से यह बात ज़रूर कहनी होगी कि एक गुणी अभिनेता या यूँ कहूँ कि जो सही मायने में अभिनेता है वो अपने लिए निर्देशक का चुनाव भी खुद से ही करता है l और जब निदेशक का चुनाव वो खुद से ही करता है , चाहे परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों न हों तो फिर उसमें एक विशेष प्रकार का अनुशासन भी होता है l भूपेश उस नाटकीय अनुशासन के धनी हैं जिसकी नाटक में सबसे अधिक दरकार होती है , अगर वो अभ्यास में हैं तो फिर उन्हें कोई भी परिस्थिति विचलित नहीं कर सकती l अभ्यास के दौरान भूपेश एकदम बदल जाते हैं , यूँ शांत और गंभीर तो उनका स्वभाव है ही , परन्तु नाटकीय अभ्यासों में उनकी गंभीरता गहरे मौन से ढंकी होती है , उस समय मुश्किल ही क्या..उनसे बात हों संभव ही नहीं होता l

सारी बाते इतने विश्वाश से इसलिए कह रही हूँ कि वो एक खास समय रहा जब भूपेश जी के साथ मंच पर काम करने का अवसर जीवन में आया और वह अवसर छोटा अवसर नहीं था बल्कि एक काफी लंबा समय रहा जब उनको मंच पर काम करते हुए देखा , मंच पर आने से पहले उनको न जाने कितने – कितने अभ्यासों में उन्हें बाहर से बैठकर देखा , कहीं मंच पर रहकर महसूस किया ..दरसल यह वह समय था जब एक – एक नाटक के पूरे भारत में हम कई – कई शो कर रहे थे , ये बात सन २००२ से २०००६ के दरम्यान की है , जब क्या दिल्ली , क्या जोधपुर , जयपुर , बीकानेर , लखनऊ . इलाहाबाद , कोलकता , मुंबई में ‘आज’ नाटय ग्रुप यानि कि भानु भारती जी के निर्देशन में देहान्तर , महामाई , सम्राट , चार टांग के कोयल जैसे नाटकों का मंचन हो रहा था और इन सभी नाटकों में भूपेश पंडया जी केन्द्रीय भूमिकाओं में थे l ये वह दौर था जब ‘आज ‘ रंगमंडल अपने पूर्ण उठान पर था हर नाट्य उत्सव में उसकी प्रस्तुतियां शुमार होती थीं ..और अनेकानेक शो हो रहे थे l रंगजगत वो जगत है जहाँ जब आपकी कोई ‘कमिटमेंट ‘ बनती है तो वो अनूठी होती है , क्योंकि वो किसी जाति, मज़हब , लिंग आदि की दीवारों से ऊपर उठ केवल और केवल शुद्ध अर्थों में एक कमिटमेंट होती है l यह एक सम्पूर्ण यात्रा होती है जिसमें अभिनेता, निर्देशक का सा सांझा होता है , एक परिवार से भी ऊपर का साझा इसलिए यह कमिटमेंट चाहे एक नाटक भर की हो वह अपने में सम्पूर्ण होती है l

इस दौर में भूपेश जी के अभिनेता की यात्रा को बहुत करीब से जानने – समझने का मौका मिला , अपने इंगितों में ही अभिनय की बहुत सी बारीकियों को भूपेश जी कह देते हैं l चन्द्रशेखर कम्बार का लिखा और भानु भारती द्वारा निर्देशित ‘महामाई’ वो पहला नाटक था जब भूपेश जी से मुलाक़ात हुई यह बात सन २००२ के अंत यानि की दिसम्बर की बात है l महामाई नाटक का मंचन मुंबई के पृथ्वी में होना था , मै भानु सर के साथ ही थियेटर सीख रही थी , जब भूपेश जी महामाई के मुख्य चरित्र संजीव की भूमिका के लिए ‘ रिहर्सल स्पेस ‘ पर आए l निःसंदेह बहुत ही गंभीर , अपने काम पर पूरी तरह फोकस रखने वाले , ब्रेक के समय में भी कसी से कोई बात न करते हुए अपने किरदार और केवल अपने किरदार पर चिंतन ..ये तो पहले शो की रिहर्सल की बात है ..’महामाई’ के अनगिनत शो हुए और अनगिनत अभ्यास हर अभ्यास में भूपेश जी उसी ..उसी तन्मयता से अभ्यास करते मुझे दिखे जसी तन्मयता से मैंने पहले दिन उन्हें अभ्यास करते देखा , और ‘महामाई’ की कितनी भी रिहर्सल , कितने ही अभ्यास हुए ..सर ने भी उसी तरह से अपने निर्देश दिए और भूपेश जी ने भी उसी तरह से निर्देश लिए l इस नाटक में मुझे तीन छोटी पर अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाने का अवसर मिला जिनमें दो में भूपेश जी के साथ सीधे संवाद की स्थिति बनती थी ..कई – कई अभ्यासों और कई – कई प्रदर्शनों के बाद उन दृश्यों का जिस तरह से रूप परिवर्तित हुआ और जिस तरह से उस छोटे ‘ आई कांटेक्ट ‘ में चीज़े निकल कर आने लगी तो उसी से यह समझ बनी कि कैसे निरंतर अभ्यास एक छोटे दृश्य में भी कितना कुछ भर देता है l यहाँ मैं निर्देशक भानु भारती जी के निर्देशक रूप का ज़िक्र करते हुए यह ज़रूर कहना चाहूंगी कि हर नाटक पर उसी तरह से काम करते हैं जैसे वह पहली बार मंच पर जा रहा हो ..और अपने अभिनेताओं से भी वैसे ही काम करवाते हैं ..और भूपेश जी हैं भी वैसे ही अभिनेता l

अभिनय की यह यात्रा लगातार चलती रही है ,महामाई के बाद ..देहांतर , चार टांग का कोयल और सम्राट सब नाटकों के अलग – अलग अनुभव l मंच होता ही ऐसा है , जो हर बार आपको नया कर देता है , अभिनेता हर बार कुछ नया देता है , अभ्यास हर बार नए होते हैं और आपको पुनर्नवा कर जाते हैं , एक नया रूप दे जाते हैं , हर नाटक की रिहर्सल में अनेक किस्से – कहानियां होते हैं लिखने को इतना है कि यह बहुत लंबा जा सकता है l यह तो मेरे अनुभव का एक टुकडा है , भूपेश जी की रंग और’ सिने’ यात्रा बहुत लम्बी है ...पर अभी कुल मिलकर यही कहूंगी ..की विस्तार से कभी बाद में फिर ..किसी और स्थान पर ..अभी के लिए इतना कि भूपेश जी की यह अभिनय यात्रा लगातार – अनवरत जारी रहे ..और वो इसी कर्मठता और जुझारू अप्रोच से अपने उस गाम्भीर्य के साथ जो कि उनका अपना एकदम निजी है इसी तरह से अभिनय करते रहें मंच पर भी और सिने जगत में भी ..उनके जीबन में अपार सफलताएं आएं


शून्य परिवार की अनेक शुभकामनाएं आज शाम ६ बजे भूपेश जी के साथ की गयी बातचीत अवश्य सुनें l

लॉक डाउन के इस संकट काल में यह रिकॉर्डिंग घर बैठे ही संयोजित हुई है , त्रुटियों के लिए क्षमा ... भूपेश जी का सादर आभार ...

सर्वाधिकार सुरक्षित शून्य थियेटर ग्रुप

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