By Rama Yadav
शून्य के दर्शकों, शून्य की फेस बुक पोस्ट से जुड़े हमारे परिवार के सदस्य और शून्य के नए प्रयास कविता के रंगमंच से जुड़े श्रोताओं को हमारा नमस्कार l घड़ी संकट की ही है , हमारे कामगार ...मजदूर भाई जो रोज़ कमाते और रोज़ चूल्हा जलाते थे आज किस स्थिति में हैं हम सब जानते हैं l हम हिन्दू हों या मुसलमान या फिर सिक्ख या कुछ और आज सम्पूर्ण मानवता पर एक ही संकट है और ये एक दूसरे से जुड़ने का अच्छा अवसर है l कल शून्य द्वारा प्रस्तुत रामायण के कुछ चित्र शून्य समूह ने आप तक पहुंचाय ...दरअसल यह एक ऐसा रंगमंच था जो सबके लिए ओपन था ...इसकी शुरुआत जब आज से लगभग पांच सौ साल पहले हुई थी इसके पास आज जैसे मंच और तेज़ आवाज़ करने वाले साधन नहीं थे l बहुत ही शान्ति के साथ केवल और केवल अभिनय को फोकस किया जाता था l और शून्य का प्रयास सब कुछ से अलग एक अच्छा अभिनय देना ही था l पेड़ तले , साधारण मंच पर , साधारण वेशभूषा के साथ यह एक प्रयास था l इन चित्रों में सीता की अग्नि परीक्षा का भी कोई चित्र आया ...जिसके खिलाफ हम तब भी थे ...आज भी हैं ...
आखिर और कितनी अग्नि परीक्षाएं और क्यों ? किस - किस बात की सफाई देनी पड़ेगी और क्यों ? क्यों कोई एक पक्ष परीक्षा माँगता रहे , और दूसरा पक्ष देता रहे ... इस दृश्य की प्रतीकात्मक सुन्दरता में बहुत वेदना ....दर्द छिपा है ... क्यों हम परीक्षा के बिना किसी के सत्य पर विश्वाश नहीं कर सकते ... शून्य यही चाहता है कि आज इस संकट की घड़ी में सबसे पहला काम हम एक दूसरे पर विश्वाश करें और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ें ...ताकि हमने अग्निपरीक्षा की वेदना उसके दर्द से न गुजरना पड़े ..इस तरह की पईक्षाएं अब खत्म हो ...जन - जन का सत्य उसके भीतर से उबरे ..वो विश्वाश हो मानवता को आगे ले जाने का ...अविश्वाश की कड़वाहट दूर हो ...विश्वाश का दीप जले .. आएं हम मिलकर विश्वाश का दीप जलाएं शून्य आपसे फेस बुक , इन्स्टा , YouTube पर लगातार जुड़ा है YouTube -: https://www.youtube.com/channel/UCfZ3xh783JeQ6YbsGvwcX0Q इन्स्टा -: https://www.instagram.com/shoonya_theatre/
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