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हानूश मेरी नज़र में : विशाल गौहर


मैं हानूश का बड़ा भाई हूं , मैं चर्च का एक पादरी हूं। हानूश पर पिछले कई वर्षों से घड़ी बनाने की धुन सवार है । और मुझे यकीं है की एक दिन हानूश घड़ी बना लेगा और पूरी दुनिया उसे देखने आयेगी। मेरे लिए तो हानूश के औजारों की खट खट, और कात्या का रोज़ चिंता करना मेरी ज़िंदगी का एक हिस्सा है और यांका भी इस घड़ी के साथ साथ ही बड़ी हो गई है । यही मेरी दुनिया है और यहां मैं बस एक पादरी नहीं हूं , यहां मेरी कुछ जिम्मेदारियां हैं। मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं की हानूश कामयाब हो जाए। पर मुझे भी चिंता होती है। हानूश को दुनिया दारी से कुछ लेना देना नहीं है , पर यहां चर्च और नगरपालिका के बीच की तकरार और बादशाह के दरबार में जो भी हो रहा है उससे मैं डर जाता हूं की इन सब के बीच हानूश कहीं पिस कर न रह जाए। यही मेरी चिंता है। ईश्वर हानूश को कामयाब करे ।मेरी बस यही प्रार्थना है।


इस तरह से पादरी का किरदार मुझे जीता है। ये एक यात्रा है जो अभी भी जारी है। ईश्वर पर विश्वास करना और प्रार्थना करना मुझे पादरी ने सिखाया है। रोज़ एक नई सीख मिल रही है। मैं पादरी हूं, मैं हानूश का बड़ा भाई हूं।




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