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प्रलय की छाया
प्रलय की छाया
दिल्ली के शून्य नाट्य समूह ने जयशंकर प्रसाद की कविता ‘प्रलय की छाया’ का मंचन 8.1.2021 प्रगति मैदान स्थित राष्ट्रीय शिल्प संग्राहलय के मुक्ताकाशी मंच ‘पिल्खन’ पर किया l
परिकल्पना और निर्देशन डॉ रमा यादव का रहा l इस कविता का मंचन अत्यंत भव्य और अदभुत बन पड़ा l
नाटय जगत में यह प्रयास अपने आप में अत्यंत अनूठा रहा l मंच पर अनेक ‘रस’ एक साथ साकार हो उठे और साकार उठा एक युग जिसमें रूप ज्वाला थी और थी प्रतिस्पर्धा जिसकी परिणति एक अत्यंत ही उच्च कोटि के करूण दर्शन में होती है जिसमें जीवन का रस समाहित था l इस कविता का मंचन एक दिन का प्रयास नहीं था बल्कि यह निर्देशक के मन में बरसो – बरस पलती – बढ़ती रही और तभी एक कल्पना मंच पर साकार हो पाई l शून्य नाट्य समूह के सभी कलाकारों ने जमकर अभिनय किया एक – एक कलाकार के उच्चारण में स्पष्टता , भव्यता और कविता के आरोह – अवरोह देखने को मिल रहे थे l इस तरह के प्रयास मंच पर कम ही देखे जाते हैं जहाँ अभिनय के - वाचिक , आंगिक , सात्विक और आहार्य पक्ष एक साथ सजीव हो उठें l
जयशंकर प्रसाद की यह कविता हिन्दी की अनूठी कविता है जिसमें चितौड की रानी पद्मिनी की ही लगभग समकालीन गुजरात कि रानी कमला का आत्मविश्लेषण है l जयशंकर प्रसाद ने इतिहास के झरोखे से एक ऐसे चरित्र से वर्तमान का साक्षात्कार करवाया है जिसमें रूप की ज्वाला और लालसाओं की एक विराट उपस्थिति है l पद्मावती के जोहर को सुन कमला के मन में भी आता है – ‘’ मैं भी थी कमला ..रूप रानी गुजरात की ..सोचती थी पद्मिनी जली किन्तु मैं जालाउंगी वो दावानल ज्वाला जिसमें सुलतान जलें l ‘’ रानी कमला ऐसा करती भी हैं l गुजरात के तत्कालीन नरेश कर्णदेव स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर देते हैं परन्तु युद्ध में अल्लाउदीन से पराजित होते हैं और रानी कमला आत्म समर्पण कर देती हैं l
प्रसाद लिखते हैं – ‘’ उस समय पद्मिनी की प्रतिकृति सी किरणों में बनकर ..पद्मिनी थी कहती अनुकरण कर मेरा l समझ सकी न मैं l ‘’ यहाँ से शुरू होता है कमला का आत्मविश्लेषण l
निर्देशक ने मंच पर उपस्थित सभी पात्रों को कमला के मन की विविध मानसिक दशाएं माना है जिससे कमला के भीतर का आत्मविश्लेषण अदभुत रूप से मंच पर साकार हुआ है l कविता वर्तमान से अतीत की यात्रा करती है l संध्या में बैठी रानी कमला अपने आज से अपने अतीत में दर्शकों को ले जाती है जिसमें मंच पर उपस्थित एक – एक अभिनेता अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l
निर्देशन सहयोग मयंक का और मंच व्यवस्थापन सहयोग सनी कबीर का रहा l रानी कमला की विविध मानसिक अवस्थाओं को प्रकाश से अभिव्यक्ति दी अतुल मिश्रा ने l
संगीत का संयोजन उज्जवल ने किया और सञ्चालन सनी ने किया l मंच पर उपस्थित कमला की भूमिका में रमा यादव , स्वाति तथा श्वेता रहे इसके साथ ही कमला की विभिन्न मनोदशाओं उनके जीवन संघर्षों को अभिव्यक्ति दी मयंक गुप्ता जो कर्णदेव की भूमिका में भी रहे , अरबाज़ जो अल्लाउद्दीन की भूमिका में भी रहे , अजय ,सुरजीत , अंकुर , सागर ,अस्तित्व तथा पूजा ने l
तस्वीर को आप तक लाना का काम किया अमित ने |
परदे के पीछे से बैकस्टेज टीम में अहम भूमिका निभाई दीपू , शुभम शेखर सिंह , अभिषेक , पुनीत , मोईन , अनिरुद्ध , श्याम ,अर्जुन और शून्य के सभी सदस्यों ने |
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